Skip to main content

mahaveer chalisa

MAHAVEER CHALISA

Comments

Popular posts from this blog

parasnath chalisa

PARASNATH CHALISA PARAS || श्री पारसनाथ चालीसा ||  शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।  उपाध्याय आचार्य का, लेस उपकारी नाम।। सर्व साधु  सरस्वती, जिन मंदिर सुखकार । अहिचछत्र और परसः को मन मंदिर में धार।।  ||चौपाई || पारसनाथ जगत हितकारी,  हो स्वामी तुम व्रत के धारी।  सुर नर असुर करे तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा।। तुमसे कर्म शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारा। 8सेन की राजदुलारे, वामा की आँखों के तारे ।। काशीजी के स्वामी कहये, सारी परजा मौज उड़ाये।  इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुंचे।। हाथी पर कसकर अंबारी, इक जंगल में गई सवारी  एक तपस्वी देखा वहां पर, उससे बोले वजन सुनाकर।। तपसी ! तुम क्यों पाप कमाते, इस लक्कड़ में जीव जलाते। तपसी तभी कुदाल उठाया, उस लक्कड़ को चीर गिराया ।।निकले नाग नागनी कारे, मरने को थे निकट विचारे।  रहम प्रभु के दिल में आया, तभी मंत्र नवकार सुनाया।।  मरकर वो पाताल सिधारे, पद्मावती धरयाद सिमर का देव कहा या नाम कमठ ग्रंथों में आया एक समय श्री पारस स्वामी राज छोड़कर बन की ढाणी तब करते थे ध्यान लगाए 1 दिन कमठ वहां